एथलेटिक्स फेडेरशन आफ इंडिया द्वारा आयोजित प्री-लेवल 1 कोचिंग कोर्स के अंतिम दिन आज डोपिंग के ऊपर जानकारी देते हुए पी. राधाकृष्णन ने बताया की वर्तमान डोपिंग एजेंसी द्वारा लिए गए खिलाड़ी के ब्लड/ यूरिन सैंपल को ८ वर्षों तक संरक्षित किया जाता है। ऐसी स्थिति में यदि सेम्पल देने के ६ साल बाद प्रतिबंधित दवा की सूचि में कोई नया तत्व जुड़ता है और यदि वह तत्व पिछले समय में किसी भी खिलाड़ी के जमा सैम्पल में पाया जाता है तब वह पिछले तारीख से ही प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इस प्रकार ही यदि किसी खिलाड़ी को किसी आकस्मिक उपचार के लिए किसी प्रतिबंधित दवा लेने की आवश्यकता हो तो उसे इसके लिए जांच एजेंसी को सभी आवश्यक सबूतों के साथ आवेदन दे कर निवेदन करना होगा तब उक्त एजेंसी परिस्थिति की जांच कर एक निश्चित समय के लिए उस खिलाड़ी को उस दवा की उपयोग करने की अनुमति दे सकती है। इसके साथ ही डोपिंग के दुष्परिणाम के बारे में जानकारी देते हुए उसके बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी |
डोपिंग में खिलाडी आठ साल बाद तक हो सकता है बैन
