भारतीय हॉकी जगत के एक महान कोच श्री एस ए एस नकवी के निधन पर अशोक कुमार जी की कलम से

कल भारतीय हॉकी जगत के एक महान कोच श्री एस ए एस नकवी का निधन हो गया है. भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान श्री अशोक कुमार ने उन पर एक श्रद्धांजलि लेख मुझे भेजा है, जो यथावत प्रस्तुत है :-
“कल जादूगर मेजर ध्यानचंद के सबसे निकटस्थ रहे महान हॉकी खिलाड़ी और प्रशिक्षक श्री एस.ए.एस. नकवी अब हमारे बीच नही रहे। उन्होंने भारत और ओमान दोनों देशो की हाकी की सतत सेवा करते हुये कल ओमान के रॉयल हॉस्पिटल में 90 वर्ष की उम्र् मे अन्तिम सांस ली। श्री नक़वी मेजर ध्यानचंद, के. डी. सिंह बाबू एवं किशनलाल के सबसे निकटस्थ साथियों मे से रहे थे। विशेषकर मेजर ध्यानचंद के साथ उनकी अनेक यादगार स्मृतिया जुड़ी हुई है । मै बहुत सौभाग्यशाली था कि मैने नकवी साहब के साथ खेला और उनसे हाकी का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। नकवी साहब सन 1960-1970 के दशक मे वेस्टर्न रेलवे के स्टार खिलाड़ी थे और मैने भी उसी दौरान हॉकी टूर्नामेंटस में खेलना शुरू किया था। मुझे मुंबई मे आयोजित रामलाल हाकी टूर्नामेंट मे उनके साथ खेलने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ, तब मै लेफ्ट इन पोजीशन पर खेल रहा था और नकवी साहब राइट आउट,बलबीर सिंह रेलवे सेन्टर फॉरवर्ड, गुरुबक्श सिंह राइट इन और करीम साहब लेफ्ट आउट खेला करते थे. तब बहुत कलात्मक सुन्दर,समन्वययुक्त एवं गतिमान हाकी की कला देखने खेलने और सीखने को मिलती थी। उस समय एक से बढ़कर हाकी खिलाड़ी राष्ट्रीय हाकी की सेवा के लिये कतार मे खड़े होते थे और तब भारतीय हाकी टीम मे चयन अत्यंत दुष्कर कार्य था, इसी कारण से नकवी साहब प्रतिभासम्पन्न होने के बावजूद भारतीय हाकी टीम में शामिल नहीं हो सके, किंतु उन्होने अपने हाकी के ज्ञान और हुनुर को प्रशिक्षण के माध्यम से भारतीय हाकी की सेवा में समर्पित कर दिया.
नकवी साहब सर्वप्रथम सन 1973 एम्स्टर्डम विश्व कप से भारतीय हाकी से बतौर कोच जुड़े, तब यह कोचिंग केम्प बॉम्बे हाकी एसोसिएशन के खुले मैदान पर लगा था, जहाँ मैदान और खुले आसमान एवं सीढियों के नीचे खाली पडी जगह मे बैठे हम लोग हाकी की बारीकियों को सीखते थे और खेल का भरपूर आनंद लेकर विश्व कप की तैयारी करते थे. फिर उन्होंने 1974 विश्वकप मे भारतीय महिला हाकी टीम के साथ बतौर सहायक कोच कार्य किया. तत्पश्चात नकवी साहब 1978 विश्वकप मे भी भारतीय महिला हाकी टीम के मुख्य कोच बने और अपनी बेहतरीन सेवाओ से भारतीय हाकी को निरंतर निखारते रहे। कालांतर मे वे भारत से ओमान चले गये और वहाँ अपनी सेवा खेलो के और हाकी के विकास के लिये देने लगे. उनके ही सदप्रयासो से ओमान ओलंपिक कमेटी का निर्माण हुआ और वे 18 वर्षो से अधिक ओमान ओलंपिक कमेटी से जुड़े रहे और वे ओमान ओलंपिक कमेटी के संस्थापक सद्स्य थे । उसी दौरान उन्होने 5 ओलंपिक खेलो मे ओमान का प्रतिनिधित्व किया और वे हमेशा भारत और ओमान के संबंधो को खेलो के माध्यम से मजबूती प्रदान करते रहे ।उनका भारतीय हाकी और मेजर ध्यानचंद के प्रति प्रेम ओमान मे भी यथावत कायम रहा. वास्तव वह ओमान मे भारत की हाकी और संस्कृति के राजदूत के रूप मे कार्य करते रहे और इसी कारण उन्हे Indo-Oman frendship अवार्ड से ओमान खेल मंत्रालय और ओमान मे भारतीय दूतावास द्वारा संयुक्त रूप से उन्हे सम्मानित किया गया। 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन ओमान मे उसी हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है, जैसे भारत मे इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप मे मनाया जाता है और इसका पूरा श्रेय नकवी साहब को ही जाता है, जो वास्तव मे सच्चे दिल से मेजर ध्यानचंद और भारतीय हाकी को चाहने वालों मे से एक थे। मेरी उनसे बाबू जी को लेकर कई बार टेलीफोन पर लम्बी चर्चा होती थी, वह बाबूजी की सादगी, सरलता और उनके साथ बिताए पलो को लगातार याद करते थे, तब उनसे बातचीत करते मुझे यह लगता था कि बाबूजी मेरे आसपास ही कही मौजूद है.
आज वास्तव मे मैने मेजर ध्यानचंद, के डी सिंह बाबू ,किशन लाल एवं भारतीय हाकी को दिल से चाहने वाले उस एक नेकदिल इंसान को खो दिया हैं, जो भारतीय हाकी के स्वर्णिम दौर की यादों को अपने दिल मे संजोये हुए खेलजगत की ताउम्र सेवा करता रहा. आज उनके निधन से मै ही नहीं वरन पूरा भारतीय हाकी खेल जगत शोक के सागर मे डूब गया है. हम सभी भारतीय हाकी खिलाड़ी , खेल प्रेमी श्री एस.ए.एस. नकवी को अपने श्रद्धांसुमन अर्पित करते हुए हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते है।”
अशोक कुमार ध्यानचंद