भारत की महिला हांकी टीम सेमीफाइनल में पराजित हुई_ किंतु अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से करोड़ो भारतीयों का दिल जीत लिया_ कांस्य पदक के लिए भारतीय पुरुष महिला दोनो हांकी टीम खेलेगी यह भी एक सुखद संयोग है _काश भारतीय हांकी टीम के खिलाड़ियों की मुलाकात भारत के महान हांकी खिलाड़ी १९६४टोक्यो ओलंपिक टीम के कप्तान चरणजीत सिंह से हो पातीहो सकता था की भारत कांस्य के लिए नही स्वर्ण के लिए ही खेल रहा होता
आज टोक्यो ओलंपिक २०२० में भारतीय महिला हॉकी टीम सेमी फाइनल में अर्जेंटीना के खिलाफ एक संघर्ष पूर्ण मुकाबले में २-१से अवश्य पराजित हो गई किंतु भारतीय बेटियो खिलाड़ियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से देश के करोड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया ।वे पराजित जरूर हो गई है पर उन्होंने दुनिया को अपनी दमखम का अंदाजा करा दिया है |
वे भारत की वे बेटियां है जिनकी बहनों ने इस ओलंपिक में वजन उठाकर भी पदक जीतकर दिखाया है,मुक्के मारकर भारत को पदक दिलाया है और बैडमिंटन में गजब की फुर्ती और दम दिखाकर इतिहास भी रच दिया है। भारत ने मैच के शुरू होते ही अर्जेंटीना के गोल मुहाने पर जबरदस्त हमला किया नतीजन भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिल गया जिसे भारतीय डिफेंडर गुरजीत कौर ने गोल में बदलकर भारत को मैच के पहले ही मिनट में बढ़त दिला दी और पहले क्वार्टर तक ऐसा लगने लगा की क्वॉर्टर फाइनल मुकाबले ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मैच की कहानी भारतीय हांकी टीम दोहरा देगी किंतु यह मुकाबला सेमीफाइनल का था और वह भी दो बार की लगातार ओलंपिक रजत पदक विजेता अर्जेंटीना से हो रहा था, जिसके खिलाफ एक गोल की शुरुआती बढ़त के साथ सर्वाइवल मुश्किल था। वही हुआ भी । अर्जेंटीना ने दूसरे क्वाटर में पेनल्टी कॉर्नर से गोल करके मैच को बराबरी पर ला खड़ा किया और तीसरे क्वार्टर में एक और गोल पेनाल्टी कॉर्नर से गोल करते हुए अर्जेंटीना ने भारत पर २-१से बढ़त बना ली जो अन्त तक कायम रही और मैच में निर्णायक साबित हुई भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए अंत तक मैच में बराबरी का गोल पाने के लिए मेहनत के साथ मैदान पर चारो ओर खूब पसीना बहाया लेकिन आज किस्मत ने भी भारत का साथ नहीं दिया जब आखिरी मिनटों में भारत के आक्रमण पंक्ति द्वारा अर्जेंटीना के गोल पर ली हिट अर्जेंटीना की गोलकीपर बचा ले गई और इसके साथ ही अर्जेंटीना ने भारत से यह मुकाबला २-१ से जीत लिया परन्तु पराजित होने के बाद भी भारत की बेटियो पर देशवासियो को गर्व है।
अब टोक्यो ओलंपिक अपने समापन की ओर है हम स्वर्ण पदक की दौड़ से बाहर हो चुके है और कांस्य पदक के लिए भिड़ेंगे तब हम हांकी प्रेमियों को लगता है हमारी सरकारें हमारे हांकी के चलाने वाले फेडरेशन के जिम्मेदार पदाधिकारी काश १९६४ टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट टीम के महान कप्तान चरणजीत सिंह से इस टीम के खिलाड़ियों की मुलाकात करवा पाते । जो आज अपनी बूढ़ी हो चुकी, कमजोर हो चुकी आंखो की रोशनी से आज भी आशा और जोश से लबरेज अंपनी उन्ही आंखो की रोशनी से इन युवा खिलाड़ियों का खेल हिमाचल की वादियों में बैठकर देख रहे है और वे यह सोचते होंगे की काश मैं इन युवा खिलाड़ियों को कुछ हांकी के बारे में बता सकता ।यदि हमारे वर्तमान हांकी टीम खिलाड़ियों की मुलाकात इस महान हांकी खिलाड़ी से होती उनका आशीर्वाद इन खिलाड़ियों को दिलाया जाता और वे स्वयं अपनी १९६४ की टोक्यो ओलंपिक की स्वर्णिम यात्रा का वृतांत अपनी जुबानी इन युवा खिलाड़ियों को सुनाते और उनके साथ १९६४टोक्यो ओलंपिक भारतीय हांकी टीम के स्वर्णिम सद्स्य गुरुबुक्स सिंह उनके साथ बैठे होते है तो हो सकता था की टोक्यो ओलंपिक २०२०,की कहानी कांस्य पदक की नही ,स्वर्ण पदक की कहानी लिखा रही होती और भारत कांस्य पदक के लिए नहीं स्वर्ण पदक के लिए मैच खेल रहा होता ।भारत के इन महान खिलाड़ियों के हमारे बीच उपस्थित होने के बाद जब देश उनकी सेवाए नही ले पाता तो बस शायर की वह लाइन याद होना स्वाभाविक है “अब घरों में पुरानी चीजों को कौन सजाता है , परिंदो को कौन पानी पिलाता है” हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है की हम अपने देश के महान खिलाड़ियों को उनके रहते याद और उनकी सेवाए नही ले पाते है और यह सब इसलिए होता है की हम अपने पदो और सत्ता के घमंड के आवरण से बाहर ही नहीं आ पाते है।
खैर ,संयोग देखिए कल भारत की पुरुष और महिला दोनो ही टीमें कांस्य पदक के अपने मुकाबले खेलेंगी और ऐसा ओलंपिक हांकी के इतिहास में पहली बार होगा जब एक ही देश की दोनो टीमें कांस्य पदक के लिए अपना जौहर दिखाएगी ।देश आश्वत है की भारत को दोनो हांकी टीमें पदक के साथ भारतीय हांकी के ओलंपिक में पदकों को न जीतने की कहानी पर विराम लगा देंगी और भारत के लिए अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए ओलंपिक कांस्य पदक विजेता होने का गौरव अवश्य हासिल करते हुए देश को गौरांवित करेगी ।देशवासियों की शुभकामनाएं भारतीय हांकी टीमों के साथ है और साथ है भारत के महान हॉकी खिलाड़ियों का आशीर्वाद जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से भारतीय हॉकी का स्वर्णिम इतिहास लिखा था वही मेहनत और लगन ने जीतने का जज्बा और हौसला भारत की वर्तमान हॉकी टीमों में है । कल के ६०मिनट आपके जीवन के और भारत के स्वर्णिम इतिहास को लिखने और उसे जीवित करने के लिए ही आपको उपलब्ध हुए है और इस उपलब्धि के गवाह भारत के महान हांकी खिलाड़ी और १९६४ टोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम के कप्तान चरणजीत सिंह और उनकी स्वर्णिम टीम के सदस्य स्वयं होंगे।
हेमंत चंद्र दुबे – बैतूल
